मुन्ना पिछली रात अपनी बीवी को पीट रहा था।
यहाँ कोई उस औरत का नाम नही जानता,
मुन्ना की कनियै ही जानते हैं सब उसे;
देखो छत पे कैसी उदास बैठी है।
उसकी उदासी में हमारा इतिहास नज़र आता है ।
सारी प्रथाओं का चेहरा साफ नज़र आता है।
मुन्ना द्वार पर बैठकर मुस्कुरा रहा है,
खेल रहा है अपनी बेटी के साथ जो उसे बहुत प्यारी है।
उसकी गुटखे से लाल हंसी को देखो, पहली नज़र में पूरा राक्षस लगता है।
उसकी आँखों के पास की झुर्रियाँ बहुत पुरानी है।
रात के झगड़े को मुन्ना जल्दी भूल जाता है सुबह,
क्योंकि वह पिटता नही पीटता है।
उसकी झुर्रियों में दिखती है पितृसता की उम्र
जिसका उस बिल्कुल भान नही है।
वह बस इतना जानता है कि
मर्द घर चलाते हैं,
और मर्द इस तरह बैठ कर रोना नही करते।

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